दरभंगा किला
आज दिल्ली का लाल किला भारत की प्रसिद्धियों में से एक माना जाता है. कई देशों से पर्यटन यहां घूमने आते हैं. लेकिन आपको बता दें कि लाल किले की तरह ही दरभंगा में भी एक भव्य किले का निर्माण यहां के महाराज द्वारा किया जा रहा था, मगर तीन तरफ से घिरे इस किले का निर्माण कार्य जैसे ही चौथी तरफ शुरू हुआ, भारत अंग्रेजी हुकूमत से स्वतंत्र हो गया. इसके बाद भारत में नई सरकार का गठन हुआ और नए कानून के मुताबिक रियासत और जमींदारी व्यवस्था को खत्म कर दिया गया. फिर जिस स्थिति में यह किला था, उसी स्थिति में इसके कार्य को रोक दिया गया. स्थानीय जानकार बताते हैं कि साल 1934 में इस किले का निर्माण दरभंगा महाराज द्वारा शुरू करवाया गया था.
महाराज की उपाधि के लिए कराया निर्माण
राजा-महाराजा के समय में किले का काफी महत्व हुआ करता था. किसी भी राजा को महाराजा की उपाधि तभी मिलती थी, जब उसके पास बड़ा किला हो. दरभंगा महाराज ने भी इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए इस किले का निर्माण शुरू कराया था. यह किला अपने आप में गौरवशाली किला है, जिसे दरभंगा का गौरव भी कहा जाता है. वैसे तो दरभंगा महाराज ने अपने कार्यकाल में ऐसे कई अविश्वसनीय कार्य किए हैं, जिसकी कल्पना उस वक्त शायद ही किसी ने की होगी. लेकिन आज दरभंगा महाराज के द्वारा दी गई उस विरासत के संरक्षण की ओर कोई पहल नहीं दिख रही है. दरभंगा महाराज के द्वारा निर्माण करवाए गए मिथिलांचल क्षेत्र में अलौकिक चीजों को अगर संरक्षित किया जाए, तो यह बिहार के पर्यटन स्थल के रूप में चर्चित हो सकता है.
दरभंगा किले को राम बाग किला भी कहा जाता है , क्योंकि यह किले के अंदर रामबाग पैलेस में स्थित है। रामबाग परिसर दीवारों से घिरा हुआ है और लगभग 85 एकड़ (34 हेक्टेयर) में फैला हुआ है।