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रुचि के स्थान

कुशेश्वर स्थान  पक्षी अभ्यारण्य

दरभंगा जिला अंतर्गत कुशेश्वरस्थान पूर्बी प्रखण्ड में यह झील है जिसे  स्थानीय भाषा में चौर कहा जाता है| यहाँ कराके  की ठण्ड  में बरी संख्या में दुर्लभ प्रजाति की पक्षीयां तीन माह तक प्रवास करती है | यह करीब 14 हजार हेक्टेयर में फैला हुआ है |

कुशेश्वर स्थान मंदिर

बाबा कुशेश्वर् नाथ का शिव मंदिर जिला मुख्यालय से लगभग ७० किलोमीटर दूर है | यह मंदिर मिथिला में बाबाधाम के नाम के रूप में प्रचलित है | इस मंदिर में उत्तर बिहार , नेपाल तथा झारखण्ड तक के भक्त गन पूजा करने के लिए आते है |

दरभंगा राज किला

दरभंगा में १९३४ ईस्वी के प्रलयंकारी भूकंप के बाद दरभंगा महराज के द्वारा राज किला की स्थापना  की गई थी | वर्तमान में यह ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय एवं कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के पश्चिम में अवस्थित है | किला के अन्दर कई भव्य मंदिर बनाये गए है | इसकी उची दिवार राजस्थान एवं दिल्ली में अवस्थिति ऐतहासिक किलो की भांति दर्शनीय है |

अहिल्या स्थान

अहिल्या स्थान एक प्रसिद्ध एतिहासिक स्थल है| यह दरभंगा  जिला के जाले प्रखण्ड के कमतौल रेलवे स्टेशन से लगभग ३ किलोमीटर      दक्षिण में अहियारी ग्राम में अवस्थित है | पौराणिक कथा के अनुसार महर्षि गौतम की धर्म पत्नी देवी अहिल्या प्रसंग वश अपने पति के श्राप के कारण शिलाखंड में परिवर्तित हो गई थी | भगवान श्री राम की चरण धूलि के स्पर्श  से उनका  उद्धार हुआ | दरभंगा जिला के लिए यह स्थान एक प्रशिधि धार्मिक पर्यटन स्थल है जिसे रामायण सर्किट से जुरने का भी गौरब प्राप्त है |

श्यामा मंदिर

मिथिला की गौरबशाली  एवं ऐतहासिक अध्यातम परंपरा तथा तंत्र साधना की परंपरा में महराजाधिराज  डॉ. कामेश्वर सिंह ने अपने पिता स्वर्गीय महराजाधिराज रामेश्वर सिंह की चिता पर विशुद्ध तांत्रिक रित से १९३३ इश्वी में स्थापना की गई | वर्तमान में यह मंदिर श्यामा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है |

मजार

दरभंगा जिला अंतर्गत दिघी तालाब ले किनारे अवस्थित हजरत भीखा साह सलामी रहमतुल्लाह अले का मजार अवस्थित है | इसे मकदूम बाबा के नाम से भी जाना जाता है | यह मजार लगभग १४० वर्ष पुराना है |

शाही मस्जिद किलाघाट दरभंगा

तुगलक वंश के शासक ग्यास उद्दीन तुगलक के द्वारा १९३६ इश्वी में बनाई गई थी | वर्तमान समय में यहाँ एक मदरसा हमीदिया संचालित है|

खनका समर्कंदिया दरभंगा

इसकी स्थापना अफगानिस्तान शहर तोदिया सादत से आये हजरत मौलाना सैयेद शाह मोहम्मद अब्दुल करीम मौलाना समरकंदी रहमतुल्लाह के द्वारा १८८६ इश्वी में बीबी विलायत सदिया के द्वारा दान में गई भूमि पर स्थापित की गई |

चर्च स्थल

दरभंगा जिला में १८९१ में पुराना कैथोलिक चर्च स्थापित हुआ था | १९८७ के विनाशकारी  भूकंप में पुराना चर्च क्षत विक्षत हो गया | पुनः इसका निर्माण १९९१ इश्वी में किया गया | दरभंगा में एक प्रोटोस्टेंट चर्च भी है जो  लहेरिया सराय में है |

गुरुद्वारा

दरभंगा नगर अंतर्गत मिर्ज़ापुर में सिख धर्म स्थली गुरुद्वारा है | यहाँ प्रत्येक वर्ष गुरुगोविंद सिंह की जयंती पर लंगर का आयोजन किया जाता है |